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ncert class 9 sst chapter 1 history ||फ्रांसीसी क्रांति||

पाठ 1. फ्रांसीसी क्रांति Important Notes (नोट्स)  • फ्रांस के लोग महंगाई कर वृद्धि और निरंकुश शासन से परेशान थे।  • फ्रांसीसी क्रांति ने फ्रांस में राजतंत्र को समाप्त कर दिया । • क्रांति के दौरान तैयार किया गया मानव अधिकार घोषणापत्र एक नए युग के आगमन का द्योतक था ।  • सन 1774 में बुब राजवंश का लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ | • जब लुई XVI फ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ तो राजकोष खाली था और कई युद्ध लड़ने के कारण कर्ज के बोझ से दबा था। कर्ज का बोझ दिनों दिन बढ़ता जा रहा था । • अठारहवीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट्स में बंटा हुआ था और केवल तीसरे एस्टेट के लोग ही कर अदा करते थे | पूरी आबादी में लगभग 90 प्रतिशत किसान थे। लगभग 60 प्रतिशत जमीन पर कुलीनों, चर्च और तीसरे एस्टेट्स के अमीरों का अधिकार था।  • प्रथम दो एस्टेट्स, कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग के लोगों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त था, जिसमें महत्वपूर्ण  था राज्य को दिए जाने वाले कर से छुट ।  • कुलीन वर्ग किसानों से सामंती कर वसूला करता था। वहाँ के किसान अपने स्वामी के घर एवं खेतों में काम .  सैन्य सेवाएँ देना अथवा सड़क के नि

class 9 science chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

अध्याय का सारांश  • संसार की सभी वस्तुएँ जिस सामग्री से बनी हैं, वैज्ञानिक उसे पदार्थ कहते है। • वे वस्तुएँ जिनका द्रव्यमान होता है और स्थान (आयतन) घेरती है, पदार्थ कहलाता है। • प्राचीन भारत के दार्शनिकों ने पदार्थ को पंचतत्व वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश से बना बताया इन्ही पंचतत्व में वर्गीकृत किया है। • सभी पदार्थ कणों से मिलकर बने होते हैं । • पदार्थ के कण अत्यंत सूक्ष्म होते है। . पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है। . पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं। पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते है। पदार्थ के कणों में गतिज ऊर्जा होती है और तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती . . है। • पदार्थ के कण अपने आप ही एक दुसरे के साथ अंतः मिश्रित हो जाते हैं। ऐसा कणों के रिक्त स्थानों में समावेश के कारण होता है । • दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वतः मिलना विसरण कहलाता है। • पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है। यह बल कणों को एक साथ जाता है। रखता है। इसे अंतराणुक बल भी कहा • प्रत्येक पदार्थ में यह आकर्षण बल अलग-अलग होता है इन्ही बलों के कारण पदार्थ की अवस्थाएं बनती है। • पदार्

भारत रत्न डॉ० भीमराव अम्बेडकर

भारत रत्न डॉ० भीमराव अम्बेडकर 14 अप्रैल, 1891 से 6 दिसंबर, 1956 तक छूआछूत के विरुद्ध कानून बनाने और इसको भारतीय समाज से मिटाने के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के अम्बावाडे नामक गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम भीमराव अम्बावाडेकर था। इनके पिता का नाम श्री रामजी सकपाल था। स्कूल जीवन से ही इन्हें छूआछूत के शूल की चुभन लगी। हाई स्कूल में पढ़ते समय से में इनकी तीव्र बुद्धि के कारण एक ब्राह्मण अध्यापक इनको बहुत पसन्द करते थे। उन्होंने इनका नाम अम्बावाडेकर से बदलकर अम्बेडकर कर दिया। उन्होंने एलफिन्स्टन कॉलेज से इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास की तथा; 1912 में बी०ए० की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद 1913 में पिता के स्वर्गवास के पश्चात बड़ौदा के महाराजा के यहाँ नौकरी करने लगे। इनके कार्य से प्रभावित होकर बड़ौदा के राजा ने उच्च शिक्षा के लिए इन्हें अमेरिका भेज दिया। अमेरिका से डाक्टरेट की उपाधि लेकर लौटे डॉ० अम्बेडकर को उच्च पद पर होते हुए भी अपमान सहना करना पड़ता था। 1920 में बैरिस्टर की पढ़ाई करने लन्दन गये और 1922 में बैरिस्

B.R.Ambedkar (डॉ. भीमराव आम्बेडकर)

डॉ. भीमराव आम्बेडकर  Bhimrao Ramji Ambedkar 14 अप्रैल, 1891 से 6 दिसंबर, 1956 तक जन्म , जन्म: 14 अप्रैल, 1891 - मृत्यु: 6 दिसंबर, 1956) एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी भी थे। उन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है। आम्बेडकर ने अपना सारा जीवन हिन्दू धर्म की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। हिन्दू धर्म में मानव समाज को चार वर्गों में वर्गीकृत किया है। उन्हें बौद्ध महाशक्तियों के दलित आंदोलन को प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। आम्बेडकर को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया है जो भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप डॉ. अम्बेडकर को आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया। जीवन परिचय जीवन परिचय : डॉ. भीमराव आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई मुरबादकर की 14वीं व अंतिम संतान थे। उनका परिवार मराठी था और वो अंबावडे नगर जो आधुनिक महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले में है, से संबंधित था। अनेक समकालीन र

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